Thursday, September 17, 2015

जासूसी की दुनिया सिर्फ पुरुषों की मानी जाती है लेकिन इसमें बहुत सी महिलाओं ने भी अपना योगदान दिया है....दुनिया के अलग अलग हिस्‍सों में अपनी जासूसी से नाम कमाने वाली महिलाओं की सीरिज में पढि़ए फ्रांसीसी महिला जासूस इयॉन के बारे में

                    फ्रांसीसी राजा की जासूस थीं इयॉन


चार्ल्स बियोमोंट का जन्म 5 अक्टूबर 1728 को हुआ था. उन्हें केवेलियर डी,इयॉन के नाम से जाना जाता है. अपने जीवन में उन्होंने कई तरह की जिम्मेदारियां निभाईं. इन जिम्मेदारियों में फ्रेंच राजनयिक, जासूस और एक सैनिक के तौर पर भी काम किया. इयॉन काफी खूबसूरत महिला थीं और उनमें किसी की भी नकल उतारने की गजब की काबिलियत थी. इयॉन ने अपने जीवन के 49 वर्ष पुरुष वेश में बिताए. हालांकि इस बात को लेकर हमेशा संशय की स्थिति बनी रही कि वे आखिर पुरुष हैं या महिला. इयॉन खुद को महिला ही बताती थीं. उनके विषय में यह हमेशा एक विवाद का हिस्सा रहा. इससे अलग इयॉन ने जो विभिन्न जिम्मेदारियां निभाईं उसके लिए उनकी तारीफ की जाती है. इयॉन का जन्म फ्रांस के बरगंडी शहर में हुआ था. उनका परिवार में पूर्व संभ्रांत था लेकिन उनके पिता को हुए नुकसान की वजह से परिवार का आर्थिक तंगी का शिकार हो गया  था. इयॉन को बचपन में भूतों की कहानियां पढ़ने में बहुत आनंद आता था. उन्होंने अपनी आत्मकथा में इन बातों का उल्लेख भी किया. उनकी आत्मकथा का नाम है द इंटरेस्ट्‌स ऑफ केवेलियर डी, इयॉन बियोमोंट. इयॉन ने कानून की पढ़ाई की और सरकार में सचिव के पद पर कार्य करने लगीं. सन 1756 में इयॉन को वहां के फ्रांस के राजा द्वारा गठित खुफिया संस्था में शामिल किया गया. राजा ने इयॉन को महारानी एलीजाबेथ से मिलने के लिए भेजा था जिससे अपनी ताकत को बढ़ाया जा सके और देश में उपस्थित में अन्य राजाओं से मजबूत स्थिति बनाई जा सके. उस समय फ्रांस और ब्रिटेन के संबंध खराब चल रहे थे. इस वजह से महारानी से सिर्फ फ्रांसीसी महिलाएं और बच्चे ही मिल सकते थे. इयॉन को ब्रिटेन पहुंचने में कोई परेशानी नहीं हुई. उन्होंने फ्रांस के राजा की मदद के लिए महारानी को मना भी लिया.  इसके बाद उन्होंने रूस में भी नौकरी की. इसके बाद आगामी कई सालों तक वे फ्रांसीसी राजा की दूसरे देशों में मदद करती रहीं. इयॉन को फ्रांस की सर्वकालिक बेहतरीन महिला जासूसों में शुमार किया जाता है. 

Saturday, December 6, 2014

भारत में फोर्ड फाउंडेशन द्वारा पोषित और संचालित संगठनों और उससे जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं को बड़ी इज्जत दी जाती है. यह बात जगजाहिर है कि फोर्ड फाउंडेशन अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए की एक शाखा की तरह काम करती है. सीआईए का काम दुनिया भर में अमेरिकी विदेश नीति और अमेरिकी हितों को साधना है. इसके लिए र् सीआईए किसी भी हद तक जा सकता है. भारत में सीआईए गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से अमेरिकी एजेंडे को लागू कराने पर आमादा है. सीआईए ने बीते कई दशकों के दौरान कई देशों में सत्ता परिवर्तन के नाम पर त्रासदियों को जन्म देकर उन देशों के मासूम लोगों को मरने के लिए छो़ड दिया है. - See more at: http://www.chauthiduniya.com/2014/07/kai-deshon-mein-satta-parivartan-ker-chuka-hai-cia.html#sthash.JEiXqSOa.dpuf

Monday, February 6, 2012

शिंडलर्स लिस्ट



                                                 -अरुण तिवारी 
टॉमस केनेली के उपन्यास शिंडलर्स आर्क पर आधारित फिल्म सिंडलर्स लिस्ट 1993 में महान निर्देशक स्टीवेन स्पीलबर्ग द्वारा बनायी गयी थी। फिल्म ने जबरदस्त बॉक्स आॅफिस सफलता दर्ज की थी। द्वितीय विश्वयुद्ध में नाजी सेना द्वारा यहूदियों के नरसंहार पर आधारित इस फिल्म ने सात आस्कर जीते, जिसमें सर्वश्रेष्ठ फिल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक आदि श्रेणियां शामिल थीं। इसके अलावा फिल्म को सात बाफ्टा पुरस्कार, तीन गोल्डेन ग्लोब शामिल हैं। 2007 में अमेरिकन फिल्म इंस्टीट्यूट ने सौ सर्वश्रेष्ठ अमेरिकी फिल्मों में इसे आठवें नंबर पर रखा था। 
फिल्म की शुरुआत द्वितीय विश्वयुद्ध के समय में होती है। जिसमें आस्कर शिंडलर (लियान नीजन) जो कि एक जर्मन व्यवसायी है, यहूदियों के शरणार्थी कैंप के पास अपना व्यवसाय करने के लिए आता है।  शिंडलर नाजी पार्टी का सदस्य है। अपनी बर्तन की फैक्ट्री में वह यहूदियों को मजदूर रखना चाहता है क्योंकि यहूदियों की अवस्था बहुत खराब थी और उसकी फैक्ट्री के मजदूर शरणार्थी कैंप के बाहर •ाी जा सकते थे। अपने एकाउंटेंट के तौर पर इटझाक स्टर्न (बेन किंग्सले) को रखता है जो कि एक यहूदी है। शुरू में आॅस्कर शिंडलर अपनी फैक्ट्री केवल फायदा कमाने के लिए खोलता है लेकिन लगातार होते नरसंहारों से विचलित होकर वह यहूदियों की रक्षा करने लगता है। इस प्रयास में कुशल मजदूरों की जगह ऐसे यहूदियों को रखने लगता है जो काम ठीक से नही कर पाते। नाजी लेफ्टिनेंट एमोन गोथ (रॉल्फ फिन्नेस) जब फैक्ट्री का दौरा करता है तो वह पाता है कि कई अकुशल मजदूर और बच्चे शिंडलर की फैक्ट्री में मौजूद हैं। ऐसे में आॅस्कर शिंडलर से वह लगातार बड़ी मात्रा में घूस लेने लगता है। शिंडलर •ाी फैक्ट्री का उत्पादन छोड़कर यहूदियों को बचाने पर ध्यान देने लगता है। सात महीने तक लगातार फैक्ट्री में कोई उत्पादन नहीं होता है और वह दूसरी फैक्ट्रियों से सामान खरीदकर नाजी सैनिकों तक पहुंचाता है। शिंडलर गोथ से आग्रह करता है कि वह अपनी फैक्ट्री पोलैंड में लगाना चाहता है औरइसके लिए उसे अपने सारे मजदूर वहां ले जाने होंगे। गोथ इसके लिए •ाी घूस लेता है लेकिन शिंडलर किसी तरह अपने सारे मजदूरों को बचाने में कामयाब हो जाता है। 
द्वितीय विश्वयुद्ध में नाजियों की हार होते ही रेड आर्मी शिंडलर की फैक्ट्री तक पहुंच जाती है। फिल्म के अंतिम पड़ाव के एक दृश्य में शिंडलर को फरार होते समय एक •ाावुक दृश्य में दिखाया गया है, जहां एक यहूदी मजदूर उसे अपने दांत में लगे सोने से बनी हुई अंगूठी देते हुए कहता है कि ‘जिसने एक आदमी को बचाया उसने पूरी मानवता को बचा लिया।’ शिंडलर रोता हुआ अपनी कार और अपने महंगे आ•ाूषणों की तरफ देखता है और इन्हें देकर कुछ जानें और बचा सकता था। फिल्म के अंत में एमोन गोथ को फांसी देते दिखाया गया है। उसके बाद शिंडलर की कब्र पर बहुत सारे लोगों को छोटे पत्थर रखते दिखाया गया है जो यहूदियों की एक प्रथा है। शिंडलर के बचाये गये ग्यारह सौ यहूदियों के छह हजार वंशज आज •ाी दुनियां में हैं। 
स्टीवन स्पीलबर्ग ने नाजी सेना द्वारा की गयी त्रासदियों को बहुत खूबी से सिनेमा के परिदृश्य पर उकेरा है। इस फिल्म को बनाने से पहले वे इस प्रोजेक्ट को लेकर निर्देशक रोमन पोलांस्की के पास गये थे, लेकिन उन्होंने इसे करने से मना कर दिया था। 
फिल्म को ब्लैक एंड व्हाइट बनाया गया है, जिससे फिल्म के निर्माण काल का पता न चल सके और दर्शकों को यह आ•ाास होता रहे कि यह फिल्म द्वितीय विश्वयुद्ध के दौर की है। फिल्म के सारे दृश्य उन स्थानों पर फिल्माया गया है जहाँ पर नरसंहार हुए थे। 71 दिनों की पूरी शूटिंग के दौरान यूनिट के सारे सदस्य वहीं थे। यह ऐतिहासिक फिल्म अतीत में हुए ऐसे नरसंहार के बारे में बताती है जिसमें क्रूरता की सारी हदें पार कर ली गर्इं। सत्तर लाख निर्दोष नागरिकों की हत्या जिसमें महिलाएं और बच्चे शामिल थे, पिछले सत्तर सालों से लगातार समीक्षकों, उपन्यासकारों, निर्देशकों के दिलचस्पी का विषय रही है। स्पीलबर्ग ने ऐसे मर्मस्पर्शी नरसंहार पर आद्वितीय फिल्म बनायी है। 


Saturday, February 4, 2012


I compare human life to a large mansion of many apartments, two of which I can only describe, the doors of the rest being as yet shut upon me.
John Keats